नई सरकार में भी अतिथि शिक्षकों को नहीं मिला न्याय: अयाज खान

18 साल की सेवा के बाद अतिथि शिक्षकों को बेरोजगार कर गई सरकार

सौरभ नाथ की खबर 9039502565

बैतूल। स्वतंत्र किसान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अयाज खान ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से अपने बयान में कहा कि 18 वर्षों से मध्यप्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को अपने कंधों पर संभाल रहे 72 हजार अतिथि शिक्षकों को सरकार ने फिर बेरोजगार कर दिया है। विगत 30 अप्रैल को आदेश जारी कर सभी अतिथि शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। यह वही अतिथि शिक्षक हैं, जिनसे हर वर्ष नए वादे किए जाते हैं, लेकिन शिक्षा सत्र खत्म होते ही बेरोजगारी की काली रात उनके जीवन में उतर आती है।

2 सितंबर 2023 को सरकार ने भोपाल में अतिथि शिक्षक महापंचायत आयोजित कर कई बड़े-बड़े वादे किए थे। इनमें वार्षिक अनुबंध, गुरुजियों की तरह विभागीय परीक्षा लेकर नियमित करना, सीधी भर्ती में बोनस अंक देना जैसी घोषणाएं शामिल थीं। लेकिन डेढ़ वर्ष बीत जाने के बाद भी इनमें से एक भी वादा पूरा नहीं हुआ।

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी मंच से अतिथि शिक्षकों को न्याय दिलाने की बात कही थी, लेकिन वर्तमान में बीजेपी की सरकार होते हुए भी अतिथि शिक्षकों के साथ वादा निभाया नहीं गया। सरकार का रवैया लगातार निराशाजनक रहा है।

अयाज खान ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव और स्कूल शिक्षा मंत्री को इस मुद्दे पर मौन तोड़ना चाहिए। अयाज खान ने कहा कि जिन शिक्षकों ने प्रदेश की शिक्षा की बुनियाद खड़ी की, उन्हें हर साल मई-जून में बेरोजगार कर देना अन्याय है। अतिथि शिक्षकों की सेवाएं स्थायी शिक्षकों की भांति चालू रखी जानी चाहिए।

खान ने यह भी कहा कि महिला अतिथि शिक्षकों को प्रसूति अवकाश, सभी अतिथि शिक्षकों को सीएल, ऐच्छिक अवकाश और स्वास्थ्य बीमा का लाभ भी दिया जाना चाहिए। लोक शिक्षण संचालनालय में आयुक्त शिल्पा गुप्ता के आने के बाद कई व्यवस्थागत सुधार हुए हैं, समय पर बजट भी उपलब्ध कराया गया, लेकिन अभी भी कई विसंगतियां बाकी हैं।

72 हजार अतिथि शिक्षक आज भी न्याय की प्रतीक्षा में हैं। उन्हें न नियमितीकरण मिला, न स्थायित्व और न ही सम्मान। सरकार से अब सिर्फ आश्वासन नहीं, निर्णय चाहिए। अन्यथा यह नाराजगी सड़क से सदन तक जाएगी।

72 हजार अतिथि शिक्षकों को बेरोजगार कर सरकार ने साबित कर दिया कि उसके लिए वादा एक जुमला है और शिक्षक एक अस्थायी मोहरा। अतिथि शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, बिना यह सोचे कि इन शिक्षकों ने प्रदेश के बच्चों की नींव मजबूत करने में अपनी जवानी खपा दी। कभी मंचों से नियमितीकरण की बात करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अब खामोश हैं। सपनों का महल दिखाया गया था, लेकिन डेढ़ साल बाद भी हकीकत में एक ईंट नहीं रखी गई। शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री आखिर किस नींद में हैं, क्या अतिथि शिक्षक सिर्फ चुनावी मोहरे थे। खान ने कहा कि अतिथि शिक्षक आज भी प्रदेश की शिक्षा की रीढ़ हैं, और उन्हें हर वर्ष मई-जून में बेरोजगारी का दंश झेलना पड़ता है।

लोक शिक्षण संचालनालय की आयुक्त शिल्पा गुप्ता के प्रयासों से भुगतान में सुधार तो हुआ, लेकिन जब नीति ही अन्यायपूर्ण हो तो व्यवस्थागत सुधार ऊंट के मुंह में जीरा बन जाता है। महिला अतिथि शिक्षकों को प्रसूति अवकाश नहीं, न ही छुट्टियां, न कोई स्वास्थ्य बीमा। यह कैसा सम्मान है।

सरकार ने अतिथि विद्वानों के लिए योजनाएं बनाई, लेकिन उन शिक्षकों के लिए कुछ नहीं किया जिनकी बदौलत गांव-गांव शिक्षा की लौ जली। अयाज खान ने मुख्यमंत्री मोहन यादव से मांग की है कि अतिथि शिक्षकों की सेवाएं स्थायी शिक्षकों की तरह चालू रखी जाएं। सरकार की बेरुखी से 72 हजार परिवारों का भविष्य अधर में है।