"स्वास्थ्य की जो शिक्षा देते हैं, उसे स्वयं भी अपनाएं" : डॉ. सचिन चित्तावार

सौरभ नाथ की खबर 9039502565

अनुशासित जीवनशैली से मरीजों को प्रेरित कर रहे हैं डॉ. चित्तावर

 

भोपाल, 30 जून 20251 डॉक्टर केवल दवाइयों ही नहीं देते, उनका आचरण और जीवनशैली भी समाज के लिए एक उदाहरण होती है यह बात भोपाल के वरिष्ठ एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ. सचिन चितावार ने, डॉक्टर डे की पूर्व संध्या पर आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कही। डॉ. चितावार का कहना है कि एक चिकित्सक को अपने परामर्श को केवल पेशेवर दायरे में सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि उसे स्वयं के जीवन में भी उतारना चाहिए।

 

उन्होंने कहा "मैं जो परामर्श देता हूँ, उसे पहले खुद पर लागू करता हूँ यही मेरी नैतिक ज़िम्मेदारी है।"

 

डॉ. चितावार के अनुसार, अगर कोई डॉक्टर खुद अस्वस्थ जीवनशैली का पालन करता है और मरीजों को स्वास्थ्य सुधार की सलाह देता है, तो उसका प्रभाव सीमित हो जाता है। उन्होंने कहा "हमारा जीवन ही हमारी सबसे बड़ी साख होती है।"

 

डॉ. चित्तावार न केवल थायरॉइड, डायबिटीज़ और मोटापे जैसी बीमारियों के विशेषज्ञ हैं, बल्कि एक अनुशासित और सक्रिय जीवनशैली के जीवंत उदाहरण भी हैं। उनकी दिनचर्या इतनी व्यवस्थित और स्वास्थ्यपरक है कि वह स्वयं अपने मरीजों के लिए एक प्रेरणा बन गए हैं।

 

अनुशासित दिनचर्या, जो स्वयं में एक चिकित्सा मंत्र है

 

डॉ. चितावार हर सुबह चार बजे उठते हैं। दिन की शुरुआत योग और ध्यान से करते हैं। इसके बाद लगभग 30 किलोमीटर साइकिल चलाते हैं। वे मानते हैं कि नियमित रूप से एक्सरसाइज़ करने से न केवल उनकी मांसपेशियों मज़बूत रहती हैं, बल्कि मेटाबॉलिज्म और हार्मोनल बैलेंस भी नियंत्रित रहता है।

 

रात्रि समय वे डिजिटल डिटॉक्स का पालन करते हैं यानी मोबाइल और स्क्रीन से दूर रहते हैं, ताकि नींद की गुणवत्ता बेहतर हो सके और अगला दिन ऊर्जा से भरपूर हो।

 

"मरीजों से जो कहते हैं, उसे पहले खुद पर आजमाएं" - डॉक्टरों से विनम्र अपील

 

संवाददाता सम्मेलन के दौरान उन्होंने देश के तमाम डॉक्टरों से अपील की कि वे भी अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें। 'जब हम मरीजों को खानपान सुधारने, व्यायाम करने और तनाव मुक्त रहने की सलाह देते हैं, तो हमें स्वयं भी उसका पालन करना चाहिए। यदि हम खुद अस्वस्थ रहेंगे, तो हमारा संदेश कमजोर हो जाएगा।"

 

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि डॉक्टरों को केवल क्लीनिक या अस्पतालों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि समाज में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए जैसे स्कूलों, कॉलेजों और पंचायत स्तर पर स्वास्थ्य जागरुकता फैलाना।

 

वैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टिकोण से लाइफस्टाइल बीमारियाँ सबसे बड़ी चुनौती

 

भारत में जीवनशैली से जुड़ी बीमारियाँ विशेषकर डायबिटीज़, मोटापा और थायरॉइड विकार सबसे बड़ी स्वास्थ्य डॉ. चितावार ने बताया कि चुनौतियों के रुप में उभर रही हैं।

 

डायबिटीज़ को वे 'भारत की मूक महामारी' कहते हैं। देश में हर 10 में से । व्यक्ति टाइप-2 डायबिटीज़ से ग्रसित है। इसके लिए नियमित एचबीए1सी टेस्ट कराना ज़रूरी है।

 

मोटापा बच्चों और किशोरों में तेजी से बढ़ रहा है, जो आगे जाकर हृदय रोग, हाइपरटेंशन और मानसिक तनाव जैसी गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकता है।

 

थायरॉइड विकार, विशेष रूप से महिलाओं में, एक उपेक्षित रोग है। इसके लक्षण जैसे थकान, वजन बढ़ना, बाल झड़ना और मूड स्विंग को अक्सर सामान्य समझकर नजर अंदाज़ कर दिया जाता है, जबकि एक साधारण टीएसएच टेस्ट से समय पर इसकी पहचान और इलाज संभव है।

 

डॉ. चितावार ने जोर देकर कहा, "इन बीमारियों को रोकना इलाज से आसान और सस्ता है। हमारी कोशिश रोग की रोकथाम पर होनी चाहिए, न कि केवल इलाज पर।"

 

+ डिजिटल माध्यमों से स्वास्थ्य संदेश को जन-जन तक पहुंचाने की पहल

 

वर्तमान डिजिटल युग में जहाँ ग़लत जानकारी तेजी से फैलती है, वहीं डॉ. चितावार सोशल मीडिया का उपयोग सही स्वास्थ्य जानकारी फैलाने के लिए कर रहे हैं। उन्होंने यूट्यूब चैनल व फेसबुक पर स्वास्थ्य शिक्षा से जुड़ी वीडियो सीरीज शुरू की है। साथ ही वे इंस्टाग्राम पर 'माई हेल्थ रूटीन' साझा करते हैं और समय-समय पर फेसबुक लाइव के माध्यम से जागरूकता अभियान भी चलाते हैं।