केमिकल युक्त पानी से तबाही: गांवों में बंजर ज़मीन और कुंवारे लड़कों की बढ़ती तादाद
मेरे बेटे के रिश्ते के लिए लड़की वाले आए थे, लेकिन गांव की हालत देखकर लौट गए। उनकी भी गलती नहीं है। कौन अपनी बेटी काे ऐसी जगह ब्याहेगा, जहां पीने का पानी तक नहीं।
लोग मरने के बाद स्वर्ग या नर्क जाते हैं। हम तो जीते जी नर्क भोग रहे हैं। खेत बंजर हो रहे हैं। पीने के पानी तक की किल्लत है। रात में मच्छरों के झुंड नींद उड़ा देते हैं।ये दर्द है जोधपुर से साठ किलोमीटर दूर ढोली कला गांव के रहने वाले लोगों का।जोधपुर–बाड़मेर रोड पर 80 किलोमीटर एरिया में बसे 50 से ज्यादा गांवों में रहने वाले हजारों लोगों की यही पीड़ा है। वजह- इन गांवों के बीच से होकर बहरोड़ तक जाने वाली बरसाती नदी जोजरी में फैक्ट्रियों का गंदा और केमिकल युक्त पानी।
ढोली कला गांव में पहुंचने से पहले हाईवे किनारे कई खेत नजर आए। ज्यादातर केमिकल के गंदे पानी से भरे थे। पशु भी यही पानी पी रहे थे। दो हजार की आबादी वाले इस गांव में अब बहुत कम लोग रह रहे हैं। ग्रामीण लिखमाराम ने बताया- सालों से ये दर्द भोग रहे हैं।
आज तक कोई सुध लेने नहीं आया। फैक्ट्रियों का गंदा पानी खेतों तक आने लगा है। इससे जमीनें बंजर हो रही हैं। कुछ लोग हाईवे किनारे खेती कर रहे है, लेकिन उसका भी क्या फायदा।
केमिकल वाले पानी में उगा अनाज शरीर को नुकसान ही देगा। खुद का घर और खेत होने के बावजूद लोग जोधपुर जाकर किराये से रह रहे हैं। खेती के बजाय नौकरी कर रहे हैं।
गांव के ही बुजुर्ग भूपता राम ने बताया कि दूसरे गांवों में जहां केमिकल का पानी नहीं पहुंच रहा, यहां के लोग वहां जाकर बंटाई में दूसरे के खेतों में काम करने को मजबूर है। पंद्रह साल पुरानी समस्या है, लेकिन हर बार समाधान के नाम पर आश्वासन ही मिलता है।
इन गांवों के लिए आवाज उठा रहे श्रवण पटेल ने बताया कि ढोली कलां गांव में ही मीठे पानी का एक तालाब था। इस तालाब पर आसपास के 16 गांव निर्भर थे।
आज स्थिति यह हो गई है कि गांव के तालाब में भी केमिकल का पानी मिल गया है। अब इंसान तो क्या, जानवर भी ये पानी नहीं पी सकते। पटेल ने बताया- फैक्ट्री का केमिकल ग्राउंड वाटर में भी मिक्स हो रहा है।
बोरिंग से भी निकालो तो भी केमिकल वाला ही पानी आता है। साफ पानी के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। कुछ गांवों में पहले कनेक्शन दिए थे। महीने में एक बार पानी आता था।
अब दो महीने से वहां भी पानी नहीं आ रहा है। ढोली कला गांव में ही एक कुंआ है। इसके चारों ओर भी केमिकल का पानी भरा है। ऐसे में लोग कुएं तक भी नहीं जा सकते।
हालांकि ये भी नहीं पता कि कुएं का पानी भी पीने लायक होगा या नहीं? सबसे ज्यादा धवा, मैलबा, ढोली,अराबा, साहिब नगर, बाबलो की ढाणी के लोग परेशान हैं।
ये गांव सीधा नदी किनारे लगते हैं। कल्याणपुरा जोधपुर से अस्सी किलोमीटर दूर है। वहां तक केमिकल का गंदा पानी पहुंच चुका है।
ढोली कला में हमारी मुलाकात मनोहरी देवी से हुई। बोलीं- हम गंदगी में जी रहे हैं। दिनभर बदबू में रहो। रात में मच्छरों का आतंक रहता है। इसी वजह से गांव के लड़कों की शादी नहीं हो रही है।
लड़की वाले आते हैं, लेकिन गांव के हालात देख लौट जाते हैं। मेरे खुद के बच्चे की शादी को लेकर मना कर दी गई। उनकी भी गलती नहीं है। काेई मां-बाप अपनी बेटी ऐसी जगह क्यों देंगे, जहां पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं है?
कोई एमएलए-एमपी आए इस गांव में, मुझे पता लगे कि रोड से गुजर रहे हैं। उनकी गाड़ी रुकवाकर उन्हें साथ में लेकर केमिकल के पानी वाले तालाब में कूद जाऊंगी।
मैं तो मर जाऊंगी, लेकिन उसके बाद तो सरकार ध्यान देगी। नेता वोट मांगने तो आ जाते हैं, लेकिन बाद में सुध नहीं लेते। बारिश में गांव का पूरा रास्ता बंद हो जाता है।