ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने को लेकर गिरफ्तार हुए अशोका यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञान विभाग के HoD और प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने प्रोफेसर की गिरफ्तारी और हिरासत में रिमांड के संबंध में एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है. उन्हें 18 मई को गिरफ्तार किया गया था और तब से वो हिरासत में हैं. हालांकि, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दे दी.

NHRC ने पाया कि रिपोर्ट में प्रोफेसर के मानवाधिकारों और स्वतंत्रता का उल्लंघन हुआ है. हरियाणा के पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर एक हफ्ते के अंदर मामले में विस्तृत रिपोर्ट तलब की है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत को हरियाणा में अशोक विश्वविद्यालय (एक डीम्ड विश्वविद्यालय) के एक प्रोफेसर की गिरफ्तारी और हिरासत में रिमांड के संबंध में 20 मई, 2025 की एक समाचार रिपोर्ट मिली है.

NHRC ने क्या कहा?
आयोग ने कहा है कि रिपोर्ट, जिसमें उन आरोपों को बताया गया है जिनके आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया है, वो खुलासा करती है कि प्रोफेसर के मानवाधिकारों और स्वतंत्रता का उल्लंघन किया गया है. इसलिए, इसने रिपोर्ट की गई घटना का स्वत: संज्ञान लेने के लिए इसे उपयुक्त मामला माना है. इसी के चलते NHRC ने हरियाणा के पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर एक हफ्ते के अंदर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

सुप्रीम कोर्ट ने दी अंतरिम जमानत
अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर को सुप्रीम कोर्ट से बुधवार को अंतरिम जमानत मिल गई है. प्रोफेसर की ओर से गिरफ्तारी के खिलाफ दाखिल याचिका पर कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दे दी. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस भी जारी किया है. इस के साथ ही बयान की जांच के लिए SIT टीम का गठन करने का निर्देश भी दिया गया है.

प्रोफेसर ने क्या टिप्प्णी की थी?
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर प्रोफेसर ने टिप्पणी की थी. उन पर कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के योगदान को कमतर आंकने और सोशल मीडिया पर टिप्पणी करके ऑपरेशन सिंदूर को सांप्रदायिक मकसद से जोड़ने का आरोप है. बीजेपी के युवा मोर्चा के महासचिव योगेश जठेरी की शिकायत पर FIR दर्ज हुई थी. सोनीपत पुलिस ने FIR दर्ज की थी और प्रोफेसर को गिरफ्तार कर लिया गया था.

8 मई को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करते हुए अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने कर्नल सोफिया कुरैशी की तारीफ करने वाले हिंदुत्ववादियों के अंतर्विरोध पर टिप्पणी की थी. प्रोफेसर ने कहा था कि कर्नल कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने जो प्रेस ब्रीफिंग की थी उसका प्रतीकात्मक चेहरा तो महत्वपूर्ण था, लेकिन इसे जमीनी हकीकत में बदलना होगा, वरना ये सिर्फ पाखंड है.