पुरुषों के लिए आयोग की मांग ने पकड़ा जोर
पुरुषों के लिए आयोग की माँग ने पकड़ा ज़ोर
सौरभ नाथ की खबर 9039502565
MSSO ने शुरू की राष्ट्रीय मुहिम, याचिका पर देशभर से समर्थन जुटाने की अपील
भोपाल भारत में पुरुषों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक स्वतंत्र आयोग की माँग अब ज़ोर पकड़ने लगी है। मानवाधिकार सुरक्षा एवं संरक्षण संगठन (MSSO) ने केंद्र सरकार से "राष्ट्रीय पुरुष आयोग" की स्थापना की माँग करते हुए एक राष्ट्रव्यापी याचिका शुरू की है। सोशल मीडिया पर यह याचिका तेज़ी से फैल रही है और हज़ारों लोग इसे समर्थन दे रहे हैं।
MSSO के राष्ट्रीय सचिव डॉ श्रीकांत अवस्थी ने बताया कि समाज में पुरुषों के साथ हो रहे भेदभाव और झूठे मुक़दमों में फँसाने की घटनाओं को लंबे समय से नज़रअंदाज़ किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, "जहाँ महिलाओं, बच्चों और अन्य वर्गों के लिए आयोग मौजूद हैं, वहीं पुरुषों के लिए अब तक कोई संवैधानिक निकाय नहीं बना। यह असंतुलन हमारे समाज में एक गहरी चुप्पी को दर्शाता है।"
झूठे आरोपों और पारिवारिक टूटन से जूझते हैं हज़ारों पुरुष
संगठन का कहना है कि रोज़ाना कई पुरुष ऐसे मामलों में फँसते हैं जहाँ सच्चाई की बजाय सामाजिक धारणा हावी हो जाती है। विशेषकर दहेज, घरेलू हिंसा, तलाक और बच्चों की कस्टडी जैसे मामलों में पुरुषों की स्थिति बेहद असुरक्षित होती जा रही है। कई बार मानसिक दबाव इतना बढ़ जाता है कि आत्महत्या तक की घटनाएँ सामने आती हैं।
“यह केवल पुरुषों का मुद्दा नहीं, पूरे परिवारों का सवाल है”
MSSO ने यह स्पष्ट किया है कि यह आंदोलन किसी वर्ग के विरुद्ध नहीं, बल्कि समान न्याय की माँग है।
“हम यह नहीं कहते कि महिलाओं को समर्थन न मिले, परंतु पुरुषों के साथ होने वाले अन्याय की भी उतनी ही गंभीरता से सुनवाई होनी चाहिए,” संगठन की ओर से जारी बयान में कहा गया।
याचिका पर करें हस्ताक्षर:
संगठन ने नागरिकों से अनुरोध किया है कि वे याचिका पर हस्ताक्षर कर इस मुहिम का हिस्सा बनें और इसे अपने नेटवर्क में साझा करें, ताकि सरकार तक यह आवाज़ पहुँचे।
क्या सरकार अब जागेगी?
अब यह देखना होगा कि क्या केंद्र सरकार इस माँग को गंभीरता से लेकर राष्ट्रीय पुरुष आयोग के गठन की दिशा में कोई ठोस पहल करती है या नहीं। MSSO और इससे जुड़े हज़ारों नागरिक इस प्रश्न पर सरकार की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
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