भोपाल हैडलाइन सिराली संवाददाता जिला ब्यूरो संजय योगी 

 

एक कदम गांव की शिक्षा की ओर,जयस शिक्षा प्रभारी रोहित कुमरे ने शिक्षा के क्षेत्र में अपने विचार किया साजा

आदिवासी समाज के युवा धीरे-धीरे अंधकार की और प्रवेश कर रहे हैं ज्यादातर हानिकारक पदार्थ का सेवन कर रहे हैं जिससे हमारे शरीर को नुकसानदायक पहुंचाता ही है लेकिन माता-पिता और परिवार में नकारात्मक सोच को उत्पन्न करती है साथ ही जीवन में डिप्रेशन जैसी चीजों का शिकार होते हैं जिससे हमारे समाज में नुकसानदायक घटनाएं देखने को मिलती है जिस कारण समाज में गलत प्रभाव पड़ता है

1. हर ग्राम पंचायत में ग्राम के मुखिया के माध्यम से नशा मुक्ति अभियान चलाया जाना चाहिए, जिससे काफी हद तक सुधार देखने को मिलेगा हर घर का पालक बच्चों को नशे से दूर रहने को कहें, निश्चित ही आदिवासी समुदाय में परिवर्तन देखने को मिलेगा

2. शिक्षा का स्तर आदिवासी क्षेत्रों में विजिट के दौरान काफी गिरावट देखने को मिला, शिक्षकों को पाठ्यक्रम की अतिरिक्त जिले की जानकारी दैनिक जीवन की जानकारी भी छात्र छात्राओं को देने कि आवश्यकता शिक्षा के उच्च गुणवत्ता के लिए माता पिता को बच्चों पर ध्यान देने की आवश्यकता।

3. सभी पंचायतों में कुछ समय के लिए पलायन के लिए जा रहे ग्रामवासीयों को काम पर ले जाने वाले ठेकेदार से पंचायत के मुखिया सारी जानकारी लिखित में लिखवा कर रखने की आवश्यकता है जिससे ठेकेदार की जिम्मेदारी होगी जिस कारण सुरक्षा महसूस करेंगे तभी गांव से पलायन लोगों के साथ शोषण नहीं होगा।

4. ग्राम पंचायत में संचालित स्कूल में हर माह में एक बार ग्राम पंचायत के मुखिया या अध्यनरत छात्रों के पालक स्कूलों में जाकर विजिट करें कि वास्तव में शिक्षा का स्तर ठीक चल रहा है या नहीं शिक्षकों एवं छात्रों पर पेरेंट्स को नजर रखने की आवश्यकता है, आदिवासी क्षेत्रों में पाठ्यक्रम के अतिरिक्त आदिवासी क्रांतिकारी एवं देश के लिए समर्पण करने वाले महान क्रांतिकारीयो को उनके जीवन चित्रण के बारे में भी पढ़ाए।

5. अच्छे भविष्य का निर्माण करने के लिए छात्र छात्राओं को बचपन से ही अनुशासन में रहने के लिए प्रेरित करें ग्राम पंचायत में आयोजित सामाजिक गतिविधियों मैं भी शामिल होने की आवश्यकता है, जिससे वह आदिवासी संस्कृति रीति रिवाज परंपराओं को भी जान सके आदिवासी संस्कृति को जीवित रखने के लिए जरूरी है कि हमारी संस्कृति की भाषा को जाने और उसे जीवित रखने के लिए स्वयं भी जागरूक होकर समाज को जागरूक करें