भोपाल मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल (बी एम एच), एयरपोर्ट रोड लालघाटी के डायरेक्टर एवं एमडी मेडिसिन डॉ. ज़ीशान अहमद से विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2025 पर विशेष बातचीत

 

सौरभ नाथ की खबर 9039502565

संवाददाता: डॉ. ज़ीशान, विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2025 के अवसर पर आपसे बातचीत करना हमारे लिए सौभाग्य की बात है। तंबाकू एक वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती है। इस साल की थीम और इसके महत्व के बारे में बताइए।

डॉ. ज़ीशान विश्व तंबाकू निषेध दिवस, जो हर साल 31 मई को मनाया जाता है, तंबाकू के खतरों के प्रति जागरूकता फैलाने और इसके उपयोग को कम करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस साल 2025 की थीम है “तंबाकू मुक्त भविष्य: नई पीढ़ी को बचाएं”। इसका फोकस युवाओं को तंबाकू की लत से दूर रखने और समाज में तंबाकू-मुक्त संस्कृति को बढ़ावा देने पर है। तंबाकू हर साल दुनिया भर में 80 लाख से ज्यादा मौतों का कारण बनता है, और भारत में ये आंकड़ा करीब 13 लाख है। ये थीम हमें याद दिलाती है कि हमें नई पीढ़ी को इस जहर से बचाने के लिए अभी से कदम उठाने होंगे।

संवाददाता: तंबाकू का स्वास्थ्य पर प्रभाव कितना गंभीर है? खासकर भारत के संदर्भ में हमें क्या समझना चाहिए?डॉ. ज़ीशान: तंबाकू एक मूक हत्यारा है। ये न सिर्फ कैंसर का प्रमुख कारण है, बल्कि हृदय रोग, फेफड़ों की बीमारियां, और डायबिटीज जैसी गंभीर समस्याओं को भी बढ़ाता है। भारत में तंबाकू का उपयोग धूम्रपान (सिगरेट, बीड़ी) और चबाने (गुटखा, पान मसाला) दोनों रूपों में व्यापक है। WHO के अनुसार, भारत में 28% वयस्क तंबाकू का उपयोग करते हैं, और खतरनाक बात ये है कि 10-15% किशोर भी इसकी चपेट में हैं।तंबाकू में मौजूद निकोटीन और 7,000 से ज्यादा केमिकल्स शरीर के हर अंग को नुकसान पहुंचाते हैं। उदाहरण के लिए:मुंह और फेफड़ों का कैंसर: 90% मुंह के कैंसर और 80% फेफड़ों के कैंसर तंबाकू से जुड़े हैं।हृदय रोग: धूम्रपान से रक्त वाहिकाएं सिकुड़ती हैं, जिससे दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा 2-4 गुना बढ़ जाता है।डायबिटीज: तंबाकू डायबिटीज के मरीजों में ब्लड शुगर कंट्रोल को और मुश्किल बनाता है, जिससे किडनी और नर्व डैमेज का जोखिम बढ़ता है।प्रजनन स्वास्थ्य: पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या और महिलाओं में प्रजनन क्षमता पर बुरा असर पड़ता है।भारत में खास चुनौती ये है कि तंबाकू सस्ता और आसानी से उपलब्ध है। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लोग इसे स्टेटस सिंबल या स्ट्रेस रिलीफ के तौर पर देखते हैं, जो गलत धारणा है।संवाददाता: आपने डायबिटीज का जिक्र किया। तंबाकू और डायबिटीज का क्या संबंध है?

डॉ. ज़ीशान: बहुत अच्छा सवाल। तंबाकू डायबिटीज के मरीजों के लिए जहर की तरह है। निकोटीन इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ाता है, जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है। मेरे अनुभव में, तंबाकू यूज करने वाले डायबिटीज मरीजों में कॉम्प्लिकेशन्स जैसे किडनी फेल्योर, हार्ट अटैक, और न्यूरोपैथी का खतरा 30-40% ज्यादा होता है।उदाहरण के लिए, अगर कोई डायबिटीज मरीज सिगरेट पीता है, तो उसका HbA1c लेवल (लंबे समय का शुगर कंट्रोल इंडिकेटर) बिगड़ सकता है। साथ ही, तंबाकू से रक्त वाहिकाएं डैमेज होती हैं, जिससे डायबिटिक फुट अल्सर जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। मैं अपने मरीजों को हमेशा सलाह देता हूँ: तंबाकू छोड़ना डायबिटीज मैनेजमेंट का पहला कदम है।

संवाददाता: तंबाकू की लत छुड़ाने के लिए क्या उपाय हो सकते हैं? खासकर युवाओं के लिए।

डॉ. ज़ीशान: तंबाकू की लत छुड़ाना आसान नहीं, लेकिन असंभव भी नहीं। निकोटीन की लत दिमाग में डोपामाइन रिलीज करती है, जिससे लोग बार-बार तंबाकू की ओर खिंचते हैं। यहाँ कुछ प्रैक्टिकल उपाय हैं:जागरूकता और काउंसलिंग: स्कूलों और कॉलेजों में एंटी-टोबैको कैंपेन चलाने चाहिए। मैं सुझाव देता हूँ कि हेल्थ प्रोफेशनल्स और NGO मिलकर युवाओं को तंबाकू के नुकसान के बारे में बताएं। ग्राफिक इमेज (जैसे कैंसरग्रस्त मुंह की तस्वीरें) और रियल स्टोरीज बहुत असर करती हैं।निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी (NRT): निकोटीन गम, पैच, या लॉजेंज लत कम करने में मदद करते हैं। ये डॉक्टर की सलाह से लेने चाहिए।मेंटल हेल्थ सपोर्ट: तनाव और पीयर प्रेशर तंबाकू की लत के बड़े कारण हैं। योग, मेडिटेशन, और काउंसलिंग सेशन तनाव कम करने में मदद करते हैं।कम्युनिटी सपोर्ट: परिवार और दोस्तों का साथ जरूरी है। मैं मरीजों को सलाह देता हूँ कि वो तंबाकू छोड़ने का लक्ष्य दोस्तों के साथ शेयर करें, ताकि मोटिवेशन बना रहे।ऐप्स और हेल्पलाइन्स: भारत में “क्विट टोबैको” जैसे ऐप्स और टोल-फ्री नंबर (1800-11-2356) उपलब्ध हैं। ये युवाओं को ट्रैक करने और सलाह लेने में मदद करते हैं।युवाओं के लिए खास बात ये है कि उन्हें तंबाकू को “कूल” मानने की गलतफहमी तोड़नी होगी। इसके लिए सोशल मीडिया पर #NoTobacco या #स्वस्थभारत जैसे कैंपेन वायरल करने चाहिए।

संवाददाता: मॉनसून में तंबाकू का उपयोग और खतरनाक क्यों हो सकता है?

डॉ. ज़ीशान: मॉनसून में तंबाकू का खतरा और बढ़ जाता है। बारिश और ह्यूमिडिटी से फेफड़ों की बीमारियां जैसे अस्थमा और COPD (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) बिगड़ सकती हैं। तंबाकू धूम्रपान करने वालों के फेफड़े पहले से कमजोर होते हैं, जिससे मॉनसून में बैक्टीरियल और वायरल इन्फेक्शन (जैसे निमोनिया) का जोखिम बढ़ जाता है।चबाने वाला तंबाकू (गुटखा, पान) भी मॉनसून में मुंह के इन्फेक्शन को बढ़ाता है, क्योंकि गीले मौसम में बैक्टीरिया तेजी से फैलते हैं। साथ ही, तंबाकू से इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, जिससे डेंगू या मलेरिया जैसी बीमारियों से लड़ने की क्षमता घटती है। मेरी सलाह है: मॉनसून में तंबाकू से पूरी तरह परहेज करें और साफ-सफाई पर ध्यान दें।संवाददाता: भारत में तंबाकू नियंत्रण के लिए सरकारी प्रयास क्या हैं? और क्या सुधार की जरूरत है?डॉ. ज़ीशान: भारत सरकार ने तंबाकू नियंत्रण के लिए कई कदम उठाए हैं, जो सराहनीय हैं:COTPA एक्ट 2003: सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों पर विज्ञापन बैन, सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान प्रतिबंध, और पैकेट्स पर चेतावनी लेबल।नेशनल टोबैको कंट्रोल प्रोग्राम (NTCP): स्कूलों में जागरूकता, क्विटलाइन सर्विसेज, और तंबाकू छोड़ने के लिए काउंसलिंग सेंटर्स।टैक्स बढ़ोतरी: सिगरेट और गुटखा पर भारी टैक्स से कीमतें बढ़ी हैं, जिससे उपयोग कुछ हद तक कम हुआ है।लेकिन, कुछ कमियां भी हैं:लचर लागू करना: सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान का बैन पूरी तरह लागू नहीं होता। ग्रामीण इलाकों में गुटखा और बीड़ी आसानी से मिल जाते हैं।युवाओं तक पहुंच: तंबाकू कंपनियां अब ई-सिगरेट और फ्लेवर्ड तंबाकू के जरिए युवाओं को टारगेट कर रही हैं। इन पर सख्त बैन की जरूरत है।जागरूकता की कमी: ग्रामीण और स्लम क्षेत्रों में लोग तंबाकू के पूरे नुकसान से वाकिफ नहीं हैं।मेरा सुझाव है कि सरकार को स्कूलों में एंटी-टोबैको एजुकेशन को अनिवार्य करना चाहिए। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल हेल्थ कैंप्स और टेलीमेडिसिन के जरिए जागरूकता बढ़ानी चाहिए।संवाददाता: आप व्यक्तिगत रूप से लोगों को तंबाकू छोड़ने के लिए क्या संदेश देना चाहेंगे?

डॉ. ज़ीशान: मेरा संदेश साफ है: तंबाकू छोड़ो, जीवन जोड़ो। हर सिगरेट आपकी जिंदगी को 11 मिनट कम करती है। आप इसे छोड़कर न सिर्फ अपनी, बल्कि अपने परिवार की जिंदगी बेहतर बना सकते हैं। छोटे-छोटे कदम उठाएं:आज ही तंबाकू की मात्रा कम करें।अपने डॉक्टर से निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी या काउंसलिंग के बारे में बात करें।अपने दोस्तों और परिवार को बताएं कि आप तंबाकू छोड़ना चाहते हैं, ताकि वो आपका साथ दें।मॉनसून में ये और जरूरी है, क्योंकि आपका इम्यून सिस्टम मजबूत होना चाहिए। अगर आप तंबाकू छोड़ने का संकल्प लेते हैं, तो ये आपके और आपके प्रियजनों के लिए सबसे बड़ा तोहफा होगा।संवाददाता: तंबाकू छोड़ने के बाद शरीर में क्या बदलाव आते हैं?

डॉ. ज़ीशान: तंबाकू छोड़ने के फायदे तुरंत शुरू हो जाते हैं:20 मिनट बाद: ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट नॉर्मल होने लगता है।12 घंटे बाद: ब्लड में कार्बन मोनोऑक्साइड का लेवल कम होता है, ऑक्सीजन बढ़ता है।1 महीने बाद: फेफड़ों की कार्यक्षमता सुधरती है, खांसी और सांस की तकलीफ कम होती है।1 साल बाद: हार्ट अटैक का जोखिम आधा हो जाता है।5 साल बाद: स्ट्रोक और मुंह के कैंसर का खतरा नॉन-स्मोकर जितना हो जाता है।मेरे कई मरीजों ने तंबाकू छोड़ा और उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई। उनकी एनर्जी, त्वचा, और मेंटल हेल्थ में जबरदस्त सुधार हुआ।संवाददाता: इस एंटी-टोबैको डे पर आप समाज से क्या अपील करना चाहेंगे?

डॉ. ज़ीशान: मैं समाज से अपील करता हूँ कि हम सब मिलकर तंबाकू-मुक्त भारत का सपना पूरा करें। माता-पिता अपने बच्चों को तंबाकू के खतरों के बारे में बताएं। युवा सोशल मीडिया पर #NoTobacco कैंपेन को वायरल करें। सरकार और NGO मिलकर ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता कैंप्स चलाएं। और सबसे जरूरी, अगर आप तंबाकू का उपयोग करते हैं, तो आज ही इसे छोड़ने का संकल्प लें। आपका एक कदम आपके परिवार और समाज को स्वस्थ बनाएगा।

संवाददाता: डॉ. ज़ीशान, आपकी ये बातें निश्चित रूप से लोगों को प्रेरित करेंगी। अंत में, क्या आप भोपाल के लोगों के लिए कोई खास संदेश देना चाहेंगे?

डॉ. ज़ीशान: भोपाल मेरे दिल के बहुत करीब है। यहाँ के लोग मेहनती और जागरूक हैं। मेरा बस एक संदेश है: तंबाकू को ना कहें, और अपने और अपने बच्चों के लिए स्वस्थ भविष्य चुनें। मॉनसून में खास ध्यान रखें – साफ पानी पिएं, हाइजीन रखें, और तंबाकू से दूर रहें। अगर आपको तंबाकू छोड़ने में मदद चाहिए, तो अपने नजदीकी हेल्थ सेंटर से संपर्क करें। हम सब मिलकर भोपाल को तंबाकू-मुक्त और स्वस्थ बना सकते हैं।

संवाददाता: डॉ. ज़ीशान, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आपकी ये सलाह और जानकारी निश्चित रूप से लोगों को तंबाकू के खिलाफ जागरूक करेगी।

डॉ. ज़ीशान: धन्यवाद, मुझे खुशी है कि मैं इस मंच के जरिए लोगों तक अपनी बात पहुंचा सका। आइए, मिलकर एक तंबाकू-मुक्त भारत बनाएं!