ग्रामीण कनेक्टिविटी में क्रांति: सैटलाइट कम्युनिकेशन भारत को बनाएगा डिजिटल लीडर
केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज कहा कि दुनिया भर में भारत उपग्रह दूरसंचार (सैटेलाइट कम्युनिकेशन) का सबसे बड़ा बाजार होगा। उन्होंने कहा कि इससे भारत का सैटकॉम बाजार साल 2028 तक बढ़कर 20 अरब डॉलर का हो जाएगा जो अभी के 2.3 अरब डॉलर के मुकाबले 10 गुना बड़ा होगा।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के मुख्यालय में आयोजित सेमिनार में सिंधिया ने कहा कि उपग्रह दूरसंचार प्रौद्योगिकी असल में मौजूदा सेवाओं के लिए पूरक है। मंत्री का बयान उस दिन आया है जब ईलॉन मस्क की कंपनी स्टारलिंक ने पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में दूरसंचार सेवाओं की शुरुआत करने की घोषणा की है।
उद्योग के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक दूरसंचार विभाग ने भारत में उपग्रह संचार सेवाओं के लिए स्टारलिंक के आवेदन को मंजूरी दे दी है। लेकिन अगर कंपनी दूसरों के साथ-साथ सिग्नल की पेशकश करना चाहती है तो उसे अभी भी तय समय में इन-स्पेस से मंजूरी लेनी होगी। उसकी प्रतिस्पर्धी एयरटेल के निवेश वाली यूटेलसैट वनवेब को अगस्त 2021 से ही जीएमपीसीएस लाइसेंस मिल चुका है और जियो सैटेलाइट कम्युनिकेशन लिमिटेड के पास भी यह मार्च 2022 से ही है। मंत्री ने कहा कि दूरसंचार विभाग स्पेस स्पेक्ट्रम के आवंटन पर की गई सिफारिशों का अध्ययन कर रहा है। ये सिफारिशें इस महीने की शुरुआत में जारी की गई थीं। इनमें यह अनिवार्य किया गया है कि ऑपरेटरों को भारत में सेवाएं प्रदान करने के लिए अपने सालाना समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) का 4 फीसदी स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) के तौर पर देना होगा जबकि ऐसे स्पेक्ट्रम को 5 साल के लिए आवंटित किया जाना चाहिए और इसे अगले दो साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। ट्राई के अधिकारियों ने कहा कि इसे और अन्य प्रमुख सिफारिशों को जल्द ही मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल के सामने रखे जाने की उम्मीद है।
उल्लेखनीय है कि केपीएमजी की रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया भर में इस क्षेत्र में निवेश के लिहाज से भारत चौथे स्थान पर है।